बादलों की
प्रदक्षिणा से
सीख रहा हूँ
द्वन्दरहित
अंतहीन
भिगोने की कला
क्या
इस अनुभूति में
अंतर्लीन होना
साक्षात्कार की
सहमती है
या फिर
थाह
किन्ही
कल - कल
स्मृतियों की |
प्रदक्षिणा से
सीख रहा हूँ
द्वन्दरहित
अंतहीन
भिगोने की कला
क्या
इस अनुभूति में
अंतर्लीन होना
साक्षात्कार की
सहमती है
या फिर
थाह
किन्ही
कल - कल
स्मृतियों की |
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