वह तो
नहीं में रमता है
होने में कह सकता
क्या कोई,
नहीं में खोज सकता
जिसे है
विचरता
वह अजन्मा,
अचरज नहीं कि
खाली में वही भरा है
भरकर होता जो अधिक निर्भर
रखता पास अपने
क्या - क्या बिलोकर
कुछ हंसी
निः संकोच
भूल जाने की
अक्सर तिरते जो तितली - से
परवाह किये बगेर ही सितारों की
कसिजते कभी
जुराबों में अपनी ही
कहीं ज्यादा
विकसित होने की
नक़ल में ।
नहीं में रमता है
होने में कह सकता
क्या कोई,
नहीं में खोज सकता
जिसे है
विचरता
वह अजन्मा,
अचरज नहीं कि
खाली में वही भरा है
भरकर होता जो अधिक निर्भर
रखता पास अपने
क्या - क्या बिलोकर
कुछ हंसी
निः संकोच
भूल जाने की
अक्सर तिरते जो तितली - से
परवाह किये बगेर ही सितारों की
कसिजते कभी
जुराबों में अपनी ही
कहीं ज्यादा
विकसित होने की
नक़ल में ।
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंइसको साझा करने के लिए आभार!
Very Nice blog
जवाब देंहटाएंPost your free Classified
Jobs in India