बुलाती है
अपने होने की
ठसक के साथ
स्पर्श करती किन्ही
किरणों- सी
तार-तार
पार कर जाती है
आगंतुक
धीरे से
मंत्र पढ़ता
चुनना है उसे
एक केवल
बंध मुट्ठी
एरावत का देश
या फिर
पारिजात
शायद इस बार
वह
विफल नहीं .
गुरुवार, 6 जनवरी 2011
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