AMIT KALLA
गुरुवार, 6 जनवरी 2011
बस का नहीं उसके
अब तो
सिद्ध हो चुका
पा लिया वरदान
कहीं भी प्रकट होता है
आज बड़ा है
उसका दुःख
स्वयं
ईश्वर से
वह भी थक चुका
बस का नहीं उसके
ये विलाप
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