AMIT KALLA
रविवार, 24 अप्रैल 2011
मृत्यु
कहते हैं
मृत्यु बुलाती है
लेकिन
जब मृत्यु को
कोई बुलाये तब
क्या ?
आएगी वह
छोड़कर अपना
घर-बार
बिन मोल-भाव किये
अनिर्वचनीय भाव से
कोई पुकारे- तब
ईश्वर जरूर
चले आयेंगे
अपेक्षाकृत सरल जो
मृत्यु से |
1 टिप्पणी:
sarvesh purohit
26 अप्रैल 2011 को 1:18 am बजे
death bulane se kabhi nahi aati...agar dhrad sankalp ho toh ishwar jarur mil jaate hain
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Agreegators
मेरे बारे में
Amit Kalla
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
फ़ॉलोअर
ब्लॉग आर्काइव
►
2017
(1)
►
मई
(1)
►
2016
(5)
►
मार्च
(2)
►
जनवरी
(3)
►
2015
(19)
►
दिसंबर
(1)
►
जुलाई
(3)
►
जून
(15)
►
2014
(15)
►
दिसंबर
(1)
►
सितंबर
(1)
►
जुलाई
(10)
►
जून
(2)
►
मार्च
(1)
►
2013
(9)
►
नवंबर
(7)
►
जनवरी
(2)
►
2012
(50)
►
दिसंबर
(6)
►
नवंबर
(13)
►
जुलाई
(2)
►
जून
(5)
►
मार्च
(10)
►
फ़रवरी
(13)
►
जनवरी
(1)
▼
2011
(87)
►
सितंबर
(4)
►
अगस्त
(2)
►
जुलाई
(6)
►
जून
(15)
►
मई
(19)
▼
अप्रैल
(18)
ऊँची घास में
डर
स्पर्धा नहीं
ठंडी कविता
तुम्ही बताओ
"नदी" नहीं देखी
लौट आये सब
मृत्यु
कुछ भूलकर
स्थिर
एक दर्शन के लिए
ये गंगा है |
"गंगा" उसकी तो जय हो |
दूसरा कारागृह
सुना जो था
पुन: सोचो
ऋतुएँ नहीं
ग ह ना
►
मार्च
(10)
►
फ़रवरी
(6)
►
जनवरी
(7)
►
2010
(4)
►
नवंबर
(4)
►
2009
(126)
►
नवंबर
(4)
►
अक्तूबर
(20)
►
सितंबर
(71)
►
अगस्त
(21)
►
जून
(1)
►
मई
(1)
►
अप्रैल
(8)
death bulane se kabhi nahi aati...agar dhrad sankalp ho toh ishwar jarur mil jaate hain
जवाब देंहटाएं