AMIT KALLA
शनिवार, 9 जुलाई 2011
कहीं ज्यादा
कहीं ज्यादा
देखा जा सकता
बंद आँखों से
निः संदेह
अधीन होने से पहले
स्वीकारा भी
कहीं ज्यादा
अदृश्य
अपारदर्शी भाग्य
नर - देवता
पवित्र इच्छाएं
विशाल विश्व के तीर्थयात्री
निर्विकल्प समाधि
ॐ
कहीं ज्यादा |
1 टिप्पणी:
मनोज कुमार
10 जुलाई 2011 को 7:45 am बजे
सुंदर भाव।
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