अभी
पूरी तरह नहीं हुआ
उसका होना
अभी
अपरिचित है वह
शायद
" मैं " कभी नहीं
मेरा होना ही जहाँ
द्वन्द्व है
वहीं उसके होने में
उपासनाओं का एकाधिकार
पहचान सकता कोई
उसके " मैं " को
बिना किसी
लेखे - जोखे के
परिचित होने से
पहले ।
पूरी तरह नहीं हुआ
उसका होना
अभी
अपरिचित है वह
शायद
" मैं " कभी नहीं
मेरा होना ही जहाँ
द्वन्द्व है
वहीं उसके होने में
उपासनाओं का एकाधिकार
पहचान सकता कोई
उसके " मैं " को
बिना किसी
लेखे - जोखे के
परिचित होने से
पहले ।
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