गुरुवार, 28 जून 2012

चुप्पी


सुबह - शाम 
वह कुछ सोचता है 
कौन नहीं सोचता यहाँ !
अपने होने के सवालों को 
बिन जाने 
बिन समझे ह़ी 
शायद इसलिए चुप नहीं 
की बोलना नहीं आता 
कुछ अर्थ सहित बोला जाये 
यही उसकी हर रोज़ की  
बे  - सबब चुप्पी है |

2 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ अर्थ सहित बोला जाये
    यही उसकी हर रोज़ की
    बे - सबब चुप्पी है |
    बहुत खूब पंक्तिया
    बहुत ही सुन्दर रचना...:-)

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