उन्होंने कहा
अब आगे नहीं जाना
पिछले को जुटाने में भूलजाना,
उन्होंने कहा
बहते हुए समय को
याद करना फिर मिटा देना
रेखाओं से परिचय मत बढ़ाना,
उन्होंने कहा
आदमी जैसे बनना
ईश्वर से होकर
ना हो जाना,
उन्होंने कहा
कभी आने दो आने
स्व्यं के समक्ष भी जाना
पहचानना और पकडलेना।
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