AMIT KALLA
शनिवार, 9 नवंबर 2013
समनुगत विन्यास
बहुत से अभिप्राय हैं
उनके होने के
और न होना भी
उसका ही
समनुगत विन्यास
निरंतरता जहाँ
प्रतिक है उन स्पृश्य बिम्बों कि
पुरातन परिचित प्रतिक।
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