शनिवार, 9 नवंबर 2013

दिक्काल

निश्चित ही था 
देखना
छूते हुए पूर्वज्ञान कि 
सांकेतिक सीमाओं को,
संकीर्ण दायरों में 
सीमित होना जहाँ 
दिक्काल के स्वप्न का विचार भर था। 

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