AMIT KALLA
रविवार, 15 मई 2011
नर्मदा -1
सुनता हूँ
उसकी बातें
सूरज
कुछ-कुछ
चुरा लेता
जानती वह
कहती जाती
भर देगी उसे भी
एक दिन
नर्मदा |
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"महद यश "
अग्नि में जल
मंत्र हूँ मैं
उस -सा होना
परिंदा हो गया
नर्मदे-हर
नर्मदा -2
नर्मदा -1
संभव है
अंतिम व्याधि तक |
देव-शिल्प
अप्राप्य नहीं
शायद यही कला है
कितनी रिक्तता
समय का ग्रास समय
उसकी आँखे
रात उन्हें फिर शब्द बना देगी |
इच्छा
देवता होता है
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