संभव है
जान पाना
सह-अस्तित्व के
नियमों को
जहाँ तुम
अज्ञात को ज्ञात पाते हो
उतार-चढ़ावों से भरी
एक-एक गांठ
उतने ही भावदृश्य दिखाती
जितनी पंखुड़ियाँ
सहस्त्रार
कुछ भूलकर
महाकारण में उतरना
मिलेजुले रूपांतरण जैसा
जिसके भीतर
कहीं और भी अधिक
फैली संभावनाएँ
संभव है |
गहन अभिव्यक्ति ...
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