गुरुवार, 5 मई 2011

उसकी आँखे

उसकी आँखों में जो 
चमक थी 
क्या कहूँ 
सितारा या स्वप्न 
एक तरफ आकाश 
जिसकी परिधि रँगी
स्वर्ण वर्ण से 
चिडिया चाहती बनाना 
घोंसला
हिरन जहाँ विश्राम को लालायित 
और भटक रहा था मै
शरणागति के लिए |   

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