गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

अधूरा - सा प्रयोग

सिर्फ
प्रयोग करते हैं
जानने का
अधूरा - सा प्रयोग,
अपने ऊपर
गिरते हुए
रंगों से बचने की
कोशिश में
आदिम
छतरीयां तानते हैं,
जी हाँ
कभी - कभी
बहुत भरी पड़ता है
नीति - अनीति से
चिपके रहना,
अविकसित मनोकामनाओं के
भागीदार बनकर
शोरगुल भरे यातायात में
अपनी ही गाड़ी के
पहियों से बनी
रेखाओं को मिटते देखना,
स्वास से स्वास
और
देह से देह के
विछोह का
अनुभव !
अनावश्यक
तुम ऐसा मत करना
मैं तो सिर्फ जागा था
उन स्वप्नों की करवटों में
जहाँ
वृतियों का अस्तित्व भी
अनुपस्थित था
वहीँ
तुम्हे तो किन्ही
अधूरे प्रयोगों के साथ
गहरी
नींद को जानना
बाकी है अभी |

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