गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

देखो ज़रा !

देखो !
देखो कि
कुछ देखना
बाकी न  रहे
ऐसा समझो कि 
जो निरंतर
दोनों छोरों तक
कई - कई अर्थों सा
वहीं का वहीं,
किसी मृत्यु रहस्य - सा
बारीक
अपने आप से
जाना जाने वाला
सपनों भरा
शाश्वत सत्य
देखो ज़रा !

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