बुधवार, 21 नवंबर 2012

पार - अपार

बहते हैं रंग 
दिशाएं भी 
बहती हैं, 
स्मृतियाँ 
बूंद -बूंद 
उन्ही - सी
किन्ही अल्पविरामों के
नितांत,
पार - अपार ।

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