वे लोग
मालिक नहीं बनते कभी
आज भी नहीं
वे लोग
मालिक नहीं बनते कभी
आज भी नहीं
वे लोग
बांटते हैं सुख, सौंदर्य असीम
पाटते हैं शहरों की भूख
बहुत सारे" नहीं " के बावजूद भी
वे लोग
जानते हैं अर्थ
शामलात के
वे लोग
विकास से नहीं डरते
डरते हैं
उसके छिपे
भावार्थों से |
पाटते हैं शहरों की भूख
बहुत सारे" नहीं " के बावजूद भी
वे लोग
जानते हैं अर्थ
शामलात के
वे लोग
विकास से नहीं डरते
डरते हैं
उसके छिपे
भावार्थों से |
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