AMIT KALLA
शुक्रवार, 3 जून 2011
कुछ रंग धूप में
सुखाये थे
कुछ रंग
धूप में
शब्दों के संग,
हवा बहा ले गयी
जिन्हें...
अब कहती फिरती है
क्या कसूर मेरा
निर्वाद
जो बहती
पहले से
कहीं ज्यादा
ऊँचे
आकाश में |
1 टिप्पणी:
मनोज कुमार
3 जून 2011 को 8:39 am बजे
उम्दा भाव।
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