रविवार, 19 जून 2011

छूती नहीं उसे


चिड़िया भी 
पहाड़ों -सा रंग बदलती 
हवा जानती है 
छूती नहीं उसे 
पक्का होने तक...
ठीक वैसे ही 
जैसे तितली 
बचती 
अपने घर की ओर
लौटते वक्त

खजूर के 
नुकीले पत्तों से |

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