कितना मुश्किल
जान पड़ता
असहकार
प्रिय-अप्रिय के बीच
अपनी ही
चित्तवृतियों का नियमन
आप
मन का स्वामी
आप ही
अनुचर भी
स्वयमेव विनष्ट होने तक
छोड़ दो उन्हें यूँ ही
स्थिर हो जाने दो
देर-सबेर
संघर्षों के पार
सचेतन
दृढ
उदासीन
असहकार |
असहकार |
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