AMIT KALLA
बुधवार, 26 अगस्त 2009
सुलगती रेत में
तपती
सुलगती रेत में
पसरा
शिलालेख
करता तुम्हारी प्रतीक्षा
लिखी
जिस पर
कथा
दिशाओं के
विलाप की ।
1 टिप्पणी:
ओम आर्य
26 अगस्त 2009 को 4:43 am बजे
बहुत ही गहरी रचना ......अतिसुन्दर रचना .....और क्या कहे
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क्या - क्या स्तगित
समराथल
निर्धारित निर्वासन
बूढे पंखों का सहारा ले
रमता दृग
कितना भला होता रेगिस्तान
आधे से आधा चुन लेता
अल्लाह की जात - अल्लाह के रंग
अधिक देखना हो
यकायक
इस छोर से उस छोर तक
हाँ मायावी हूँ
यह सत्य नहीं , वह सत्य नही
क्षण भर में
सुलगती रेत में
रणथम्भौर का राजा
कहाँ
करवट - करवट
कितना साफ़ ..
खोजता पीड पुराणी
कृष्ण और शुक्ल के मध्य
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बहुत ही गहरी रचना ......अतिसुन्दर रचना .....और क्या कहे
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