क्या- क्या
स्तगित करते हो
स्वप्न प्रक्रिया ,
अपने लोक की यात्रा
अथवा
अगले जन्म का इंतजार
बेतुका सा लगता
देता अगर
चुनौती
क्या समझना
क्या समझाना
थोडी - थोडी झलक भी
बहुत नाज़ुक लगती है
होते हुए भी नहीं
तत्क्षण
कितनी अबाध
जगाये जाने पर कहीं
ओर
निरंतर
अप्रभावित ।
रविवार, 30 अगस्त 2009
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