बुधवार, 29 जून 2011

आकाश ही अन्तरिक्ष है

इतना 
आसान नहीं 
बांधना
आकाश को 
उसका नीलापन 
इक भूल 
क्या- आकाश ही 
अन्तरिक्ष है
अन्तरिक्ष 
हमारे अन्दर तक 
खीचे आकाश का 
उत्कर्ष जो 
या फिर 
सूर्य-रश्मियों से  
उत्पन 
कोई 
ब्रह्माकार वृति केवल |

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