आसूरी
आवरणों के बाहर
दीर्घकाल तक
कुछ नया
न जाने कैसे
विश्वसृष्टि का संवाद
अनझिप ज्योति की
निजता लिए
कल्पित रंगों के रसायन में
घुलमिल जाता
माप - माप कर
सहजवृत्त अमूर्तन की
अंतरदृष्टि
सविषयी तत्वों के
स्फुरण संग
शाकम्बरी का
चेतन स्पर्श हो जाता है
दीर्घकाल तक .
गुरुवार, 10 सितंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें