गुरुवार, 31 मार्च 2011

महायोगिनी

विलीन 
होना 
बड़ी साधना जैसा 
क्या है 
सामर्थ्य
प्रयाग बनाने का  
या फिर 
हिचकिचाहट 
मृत्यु नहीं 
पुनर्जीवन 
कितना कुछ होता विलीन 
इर्द-गिर्द तुम्हारे 
नदी 
अरे! वह तो 
महायोगिनी है | 

मंगलवार, 29 मार्च 2011

अचरज की बात नहीं

अचरज की बात नहीं 
स्वप्नत प्रतीकों में 
गोते लगाना 
जीवित हूँ 
अब तक,
अच्छा ही है
निंदा-स्तुति में 
उदासीन बने रहना 
"अहंभाव में  
डूबकर 
मरने से" |

सोमवार, 28 मार्च 2011

गोद में हिमालय की

तुम 
राजा हो 
तुम ही करो चिंता 
सोचते रहो 
झुण्ड में बैठकर
-कि लोग क्या कहेंगे 
मै
गोद में 
हिमालय की
 संचयों से 
परे 
अपनी ही 
भावावस्था में 
लीन |

शनिवार, 26 मार्च 2011

ध्यान की बात

ध्यान की बात 
ध्यान से कही जाये 
ऐसा कतई
जरुरी नहीं 
वह 
फूल की तरह है 
बालों में सजने वाले 
फूल की 
तरह | 

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

समाधि

अपेक्षाएँ
कभी नहीं रह पाती
अनुपात में 
उनका 
संक्षेप होना ही 
समाधि है 

गुरुवार, 24 मार्च 2011

कैलाश- से मिलता जुलता

मेरे
पास 
धुंधले 
दृश्यों के सिवा 
कुछ नहीं  
हाँ 
कैलाश- से
मिलता जुलता 
जगत का अंतहीन 
आविर्भाव
और कुछ 
फलती-फूलती 
तीर्थयात्राएँ
केवल  

सोमवार, 21 मार्च 2011

आदित

सूर्य 
पिघलकर 
पहाड़ का 
आदित 
आदित वह 
सूर्य ही 
या 
स्वर्णिम चोटी
पहाड़ की 

शनिवार, 19 मार्च 2011

तब क्या

कितना 
सुख 
लौटने का 
वैराग्य से 
श्रृंगार की ओर
मशान से 
वृन्दावन जितना 
लेकिन जब 
दोनों 
दीखे एक -से 
तब क्या 

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

बाँट लो तुम

अंतिम
अवस्था तक 
उन 
शब्दार्थो के साथ  
तुलना 

हाँ
बाँट लो 
तुम 
सुख - दुःख 

मैं इन 
अवतारों के बीच 
अनाड़ी ही सही 

बुधवार, 16 मार्च 2011

मै पहाड़

मै
पहाड़ 
अगले 
सात जन्मों तक 
तपस्वी पहाड़ 
उम्र के पुर्वार्ध से ही 
रौशनी 
अंधेरों के पार
अमुक्त 
प्रतीक्षारत 
जागता
पहाड़