सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

कौन जानता किसे पता !

कहाँ प्रारंभ 
कहाँ अंत 
इन पराख्यानों का 
कौन -से चाक पर 
किस प्रजापति ने गढ़ा
और तपाया 
किस अग्निकुंड में 
कहाँ वे रंग 
कहाँ वह तूलिका
कौन -से वृक्षों ने दी छाव इन्हें 
कौन -सा जल भरा गया इनमे 
कौन -सी धरा में किया विलीन 
कौन -सा तत्त्व कहाँ 
कौन जानता किसे पता !

रविवार, 27 फ़रवरी 2011

कैसी लगती है

कैसी लगती है
वास्तविकता
सृष्टी का रूपायन
अन्तरिक्षगत मरीचिका का स्वप्न
जल में उपजा वृक्ष
किनारों को तोडती
धवल लहरें
शून्य का उल्लास
सीमातीत
उस अदृश्य की ख़ोज
कैसी लगती है

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

देव शिल्प

आरोहण - अवरोहण
के मध्य 

सूक्ष्म रेखा 
ध्वनि
स्वप्न 
स्पंदन से भी सूक्ष्म 
अति सूक्ष्म 
रेतीली रेखा 
जो करती निर्माण 
इक देव शिल्प का

वापस आऊंगा

तीर
शब्द
भोर के स्वप्न
धरती में समाई जल की बूंद
बीता बचपन
अन्तरिक्ष से टूटे किसी पिंड जैसा
आँख से बहा आँसूं
कुंएं में फेंके चंद  सिक्के
या फिर
गंगा में बही अस्थियों -सा
वापस आऊंगा

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

स्मरण

मृत्यु
का
स्मरण ही
जीवन है

जीवन
की
मृत्यु
कैसी

मृत्यु
जीवन
स्मृति
स्मरण
जैसी