मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

जैसे तैसे

रेंगता
समय
जान गया
फूंक फूंककर ही
सही
जैसे तैसे  
कह दिया उसने
पहरेदारों को

क्या कहा ?

वृक्ष ने
सँजोकर
रखी ए़क
सुन्दर कहानी
वृक्ष ने
बांधी है
उसको ए़क
पतली डोर

स्वीकारा है
जिसने
उसे
प्रार्थना सा
डूबो लेता है
आज वही
उसे
लहर लहर

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