रविवार, 11 अक्तूबर 2009

अदृश्य जल जानना चाहता

पूर्वजन्म की
स्मृतियाँ
लहर दर लहर
दस्तक
देतीं हैं
अदृश्य जल
जानना चाहता
उन का
मुकाम
यथासंभव  
मेघ बनकर
बरसने की
भिगोने की
आकांक्षा है
उसकी 

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