AMIT KALLA
रविवार, 11 अक्तूबर 2009
टूटा पंख
टूटा
पंख
आप ही
उतर आया
तुम्हारी
आँखों पर
खिले कमल की
पाँखुरी
समझकर
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जानते थे गौतम..
अकाम अवस्था में
अदृश्य जल जानना चाहता
टूटा पंख
ए़क ही लय में
समय सहने का
पहुँचना कहाँ
झर जाने से पहले
लिखना सिखलाते हैं
एक मृत्यु ईश्वर
समय रहते
पृथ्वी
मेरी ही सुगंध बन
कोल्हू का बैल
कोकाबेली के फ़ूल 2
अपनी ही लय में
अदल-बदल कर अपनी बातें
ओंठ छुईमुई के
जैसे तैसे
कोकाबेली के फ़ूल 1
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