बुधवार, 29 अप्रैल 2009

कथाओं की कथाएँ

कथाओं की कथाएँ

संभावित
कथाओं की कथाएँ
टीस की
उस टपक को
संकेत करती

जहाँ
दिशाएं
समय -असमय
अवस्थाओं की अंगीठी पर
उस नियामक सत्य संग
स्वयं को पकाती है

भीतर ही भीतर
समूचा सा लगने लगता
आप ही सहमत हो
अन्तरस्थ ध्वनि का
अकल्पित वाक्य
अपने होने की
जिद करता है

कथाओं की कथाएँ
अवबोधित
मौन का
संकेत कर
सशरीर ही उसे
अमृत्य का
वरदान देती है।

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