सोमवार, 14 सितंबर 2009

मनहट कौन साधता,


आखिर
किस पर है
भरोसा,
अधरस्ते में छूट जाते
कुछ नये,
कुछ पुराने,
कुछ ओस में नहाये,
कुछ प्रार्थनाओं,
कुछ प्रतिघातों में,
कुछ पास,
कुछ दूर,
कुछ दुबके दुबके
अंतर्मन में,

कहाँ है
अजरावर अनजानी काया,
अखंड लय विन्यास ,
सूर्यरथ ,
रंगमहल के राजा
कौन
रहता राखता
किसके शब्द
कहे सुने जाते
कौन
खीच लाता उस दृग तक
कौन
कागज़ के दीप जलाता
मनहट कौन साधता,
आवारा बादल
या
अथाह आलिंगन

आखिर
किस पर है
भरोसा

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