रविवार, 13 सितंबर 2009

भागती रात को

किसे
बांधना आता
भागती रात को
सिवाय
आलोकिक
नेत्रों के तुम्हारे !
कालिन्दी भी
अधबीच ठहर जाती  
संगृहीत करती
तुम्हारी आँखों से
रिसता
काजल

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