शनिवार, 12 सितंबर 2009

दिग्विजय की बातें

सिर्फ
प्रार्थनाओं के सहारे
शब्द से शब्द
रेखा से रेखा
नेत्र से नेत्र

पाबन्दियाँ
तरफदारी
अथवा
दिग्विजय की बातें
 समय
ताकता
सही सही का
अर्थ खोजता

दो टूक
कहाँ लिपट जाता
कौन पहचान पाता
चटक रंगों के कोलाहल में
उन सयाने
ख्वाबों की
यात्राओं को
सिर्फ
प्रार्थनाओं के सहारे

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