मंगलवार, 29 सितंबर 2009

अनुभव स्मृति मौन !

शब्द
अनुमान लगाते हैं
अपनी ही
दृष्टी में
खोज लेते
अनुभव
स्मृति
मौन !
क्या
उतरा जा सकता  
आवेग की
गहराइयों में
बदला जा सकता
वह
अदृश्य सम्बन्ध

संयोग से
समय-समय पर
उन रचनाओं से
गुज़र
अनेक स्थितियों में
विकल्प
साबित होते हैं
वैसे ही जैसे
उचित अर्थ लिए
ध्वनि का
कृतज्ञ होता है
आकाश

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