झिलमिल
फुलझडी
हस्तक्षेप करती है
अपनी ही
प्रतिछवि का
गुणकीर्तन कर
निंदिया के
स्याह लहज़े को
पहचानती
कितना
बे- अक्ल साबित होता
कामधेनु को पकड़ना
दौड़ादौडी में अक्सर
चरचरा जाती
बनावट
कितने ही
रूपाकारों के साथ
शहतूत की वर्णमाला
मुलायम
संख्याओं की बनावट में
अपने रूपक अक्स के
सहयात्री खोजती है
झिलमिल
फुलझडी
हस्तक्षेप करती है
शनिवार, 26 सितंबर 2009
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