मन ही मन
सतरंगी सपने
एक एक को वर,
बूढी परछाई
मखमली कहानी सुनाती है,
पंख वाला मनुष्य जहाँ
खोज लेता
अपना मुकाम,
देखा...
कैसा अवसर के अनुकूल
वह अश्वारोही
दशरथ पर्वत से उठती
हवाएँ निगलता है,
वस्तुतः
इतना आसान
नहीं होता
दूरस्थ नक्षत्र
प्रभावित करना
सतरंगी सपनों को
दिग्विजय का
वर देना
मन ही मन
सोमवार, 14 सितंबर 2009
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