लगातार
अपने साथ ले जाता
कैसा लचकीला
ज़ार - ज़ार
बहुधा दिखाई देता
ताईरे - अर्श सा
सच
मोह लेता है
परिवास
जरणा जोगी बन
कागज़ के टुकड़े संग
गहरे समंदर की
यात्राओं पर निकल जाता
देखता
टकटकी लगा
उसी ध्रुव तारे को
बनाया जिसे
अपना इश्वर
लगातार
शुक्रवार, 11 सितंबर 2009
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